Posts

कलाम के प्रति हमारी अवज्ञा

Image
आज जन्मदिन है एपीजे अब्दुल कलाम साहब का। उनकी पुस्तक इंडिया 2020 अ विज़न फाॅर द न्यू मिलेनियम में उन्होंने सन् 2020 तक भारत के विकसित देश बनने का सपना 1998 में खुली आंखों से देखा था। इसके लिए डॉ कलाम के नेतृत्व में अलग-अलग क्षेत्र के 500 विशेषज्ञों की एक टीम ने विज्ञान व तकनीक विभाग के तहत इंडिया विजन 2020 के नाम से पहला दस्तावेज तैयार किया गया। इसमें भारत को 2020 तक एक विकसित राष्ट्र के रूप में तैयार करने का खाका तैयार किया गया था। इस दस्तावेज में शिक्षा, जनसंख्या, कृषि, विज्ञान के समुचित प्रबंधन से हमारे देश के समग्र विकास की परिकल्पना की गई। इस पुस्तक को बेस्ट सेलर तो होना ही था लेकिन इसे योजना आयोग जो अब नीति आयोग बन गया है के पास होना था और इसे आधार बनाकर योजना तैयार की जानी थी। दुर्भाग्य से ऐसा हुआ नहीं और आज 15 अक्टूबर 2021 के अखबार में डॉ कलाम के जन्मदिन की खबर के साथ "ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 116 देशों में भारत की जगह 101 स्थान पर है" खबर भी छपी है। कलाम के प्रति यह हमारी सबसे बड़ी अवज्ञा है। - वंदना दवे, वरिष्ठ पत्रकार, भोपाल 

आपके पुण्य कार्य

Image
 दोस्त को मिल गई नौकरी साल 2012 में जब मैं इंदौर में अपनी पढ़ाई के लिए रह रहा था तब मेरे साथ मनावर स्कूल में पढ़े एक दोस्त की नौकरी का आदेश आया. उसे अपने मूल दस्तावेज का सत्यापन भोपाल जाकर करवाना था. इसलिए उसने मुझे साथ चलने को कहा. मैंने उसे साथ चलने के लिए हां कर दी. वह एक दिन पहले ही मेरे रूम पर इंदौर आ गया. जब मैंने उससे पूछा की क्या वह अपने सभी मूल दस्तावेज और उनकी छायाप्रति अपने साथ लाया है जो वहां दिखानी और जमा करनी है. उसने हाँ कह दिया. मैंने उससे आग्रह किया की वह एक बार फिर चेक लिस्ट से मिलान कर ले. इस बार भी उसने जवाब दिया की वह सारे दस्तावेज चेक लिस्ट से मिलान कर के ही लाया है इसलिए अब दोबारा जांचने की आवश्यकता नहीं नहीं है. मैंने फिर उसे कहा की वे अपने दस्तावेज मुझे दे जिससे की उन्हें मैं चेक कर दूं. उसने अपने सारे दस्तावेज मुझे सौंप दिए. मैंने चेक लिस्ट से जब मिलान किया तो पाया की उसमें अनुभव प्रमाण पत्र नहीं है. उसकी इस भूल के कारण अब वह निराश हो गया और भोपाल जाने से मना करने लगा. मैंने कहा वह ज्यादा टेंशन न ले और याद करें की अनुभव प्रमाण पत्र कहां रखा होगा. उसे फिर याद आया

हिंदी को अंतः मन से सहर्ष स्वीकार करें

Image
हिंदी एक प्रतिष्ठा की भाषा है क्योंकि यह सम्प्रेषण की सबसे सरल और सुशोभित भाषा है। यह सटीक रूप से श्रोता के दिलों दिमाक पर स्पष्ट रूप से पहुंच जाती हैं। किन्तु आज की नई पीढ़ी हिंदी से दूर हो रही है। इसका सबसे प्रमुख कारण कॉन्वेंट संस्कृति को माना जा सकता है। जहां धारा प्रवाह अंग्रेजी संभाषण ही मुख्य भूमिका में होता है। जबकि विदेश में हिंदी सही दिशा में आगे बढ़ रही है। विभिन्न देशों में हिंदी का सम्मान किया जा रहा है। कई विदेशी विश्वविद्यालयों में वहां के स्थानीय विद्यार्थी हिंदी सीख रहे है। विडंबना है की हमारे हिंदी भाषी राष्ट्र में अभिभावक स्वयं ही हिंदी को पिछड़ेपन की निशानी मान रहे है। हमें समझना होगा की बच्चे गीली मिटटी के समान होते है। बचपन में उनको जो सिखाया जाता है जीवनभर के लिए उनके मन मस्तिष्क पर वही वैचारिक पृष्ठभूमि बनी रहती है। आज हमें अपनी आत्मा और मन को जगाने की आवश्यकता है। हमें हिंदी के विशेष महत्व को नई पीढ़ी के मन में महसूस कराना होगा। हिंदी को भूलने के बजाय इसे अंतः मन से सहर्ष स्वीकार करके सम्मान देने से ही यह बच पायेगी अन्यथा नहीं।

जीवन में आनंद और उल्लास लातें है शिक्षक

Image
  मैं शुरू से ही पढ़ाई में औसत विद्यार्थी रहा हूँ. अपने माता-पिता व शिक्षकों के आशीर्वाद से जॉब भी कर रहा हूँ. चूंकि हर व्यक्ति की अपनी एक विशेष रुचि होती है, जिसके होने पर वह अपने आपको सबसे ज्यादा खुश महसूस करता है. इसी तरह मेरी भी बचपन से रुचि लेखन में रही है, किन्तु इसे मैं अपना प्रोफेशन नहीं बना पाया. हालांकि फिर भी में अपने खली समय में कुछ न कुछ लिखते रहना और अपने लेखन कौशल को बेहतर बना कर खुशी हासिल करने लगा. मैं 100-200 शब्दों के छोटे छोटे आर्टिकल्स लिखता और उन्हें समाचार पत्रों व पत्रिकाओं में प्रेषित कर देता. कुछ पत्रों का प्रकाशन भी हो जाता तो मैं उन्हें अपने शिक्षकों, मित्रों और प्रियजनों को दिखाता.  एमएससी में मेरे प्रोफेशर रहे डॉ. विपुल कीर्ति शर्मा सर ने जब मेरे प्रकाशित पत्रों को पढ़ा तो उन्होंने मेरी प्रतिभा को और अधिक निखारने एवं बढ़ावा देने के लिए मुझे मोटिवेशन के साथ ही मार्गदर्शन भी दिया की मैं अब विज्ञान लेखन शुरू कर दूँ. सर ने विज्ञान की राष्ट्रीय पत्रिकाओं की जानकारी भी उपलब्ध कराई जहाँ में अपने आलेख प्रेषित कर सकूं. सर के मार्गदर्शन से ही मेरे पत्र विज्ञान की फीचर्

लघुकथा

Image
बारिश वाले  आंसू  किसान अत्यधिक चिंतित और परेशान थे क्योंकि कई दिनों से बारिश नहीं हो रही थी. किसान सूखे खेतों को देखते तो उनकी आँखों से बारिश की बूंदों की तरह आंसू निकलने लगते. अब दो चार दिनों की ही आस है अन्यथा बारिश नहीं हुई तो उन्हें अपनी फसल की दुबारा से बुआई करनी होंगी. इसलिए वें रूठे हुए वरुण देव को मनाने के लिए मिन्नते करने लगे व विभिन्न तरह के टोने टोटके करने लगे. संयोग से बारिश हो गई और वें सभी खुशी से झूम उठे. परंतु अब भी किसानों की आँखों में अश्रुधारा बह रही थी जो की बारिश होने की खुशी में थी.

कविता- जल की हर एक बूंद

Image
मानसून आया, अपने संग बारिश लाया अब सहेज लो जल की इन हर एक बूंद को अन्यथा तरसोगे जल की बूंद-बूंद को प्राणों के लिए अत्यंत जरूरी है जल व्यर्थ में क्यों बहाते हो फिर इसे हर पल  आज यदि नहीं सहेजी जल की हर एक बूंद भावी पीढ़ी को कैसे मिल पाएगी जल की एक भी बूंद पानी की चाह में धरती का सीना छलनी कर दिया  यहीं वजह है की भूजल भी नीचे गिर गया  अब जल त्रासदी का आगमन हो चूका है   जान लो यह मान लो की जल है अमूल्य सहेजनी होंगी इसकी हर एक बूंद मिलकर करें सभी प्रयास व्यर्थ न बहाए न बहाने दें जल आने वाली पीढ़ी को दें इसका अनमोल उपहार बूंद-बूंद सहज कर करों यह उपकार

मानवीय क्रियाकलापों से बढ़ी बाढ़ की तीव्रता और विध्वंसता

Image
बाढ़- बाढ़ एक ऐसी स्थिति है जिसमें कोई निश्चित भूभाग अस्थायी रूप से जलमग्न हो जाता है और इस वजह से वहां का जन-जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। बाढ़ आने के कई कारण होते हैं और भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में उसका कारण भिन्न-भिन्न होता है। भारत में बाढ़ के कुछ प्रमुख कारणों में अधिक वर्षा , भूस्खलन , नदियों और नालियों के मार्ग अवरुद्ध होना इत्यादि है। ज्यादातर बाढ़ कुछ विशेष क्षेत्रों और वर्षा ऋतु में ही आती है। बाढ़ तब आती है जब नदी जल-वाहिकाओं में इनकी क्षमता से अधिक जल बहाव होता है और जल , बाढ़ के रूप में मैदान के निचले हिस्सों में भर जाता है। बाढ़ के मामले में भारत विश्व का दूसरा प्रभावित देश है। मानवीय क्रियाकलापों जैसे अंधाधुंध वनों की कटाई ,  प्राकृतिक अपवाह तंत्रों का अवरुद्ध होना तथा नदी तल और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मानवों के रहवास की वजह से बाढ़ की तीव्रता , परिमाण और विध्वंसता अत्यधिक बढ़ गई है। बाढ़ आने की मुख्य वजह- वर्तमान में देश की किसी भी नदी से डिसिल्टिंग यानी गाद हटाने का काम नहीं किया जाता है। पहले हमारे देश की ज्यादातर नदियां अविरल थीं। जिसकी वजह से बहती नदी में खुद को स

मां तू कितनी अच्छी है... (Mother you are so good ...)

Image
मां तू कितनी अच्छी है...   मातृ देवो भवः 🙏                        मां की ममता और उसके आंचल को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है l परन्तु इस अवसर पर अपनी मां के लिए कुछ लिखने का प्रयास मैंने किया है- मैं जॉब की वजह से मां के साथ ज्यादा वक्त नहीं बिता पाता था l किन्तु अब लॉकडाउन होने से पूरा समय मां के साथ बिताने को मिला l इस समय में मां के सानिध्य में मुझे बहुत कुछ नया सीखने को मिला है l मां ने मेरे लिए बहुत कुछ नया किया है l मेरी उम्र 31 वर्ष होने पर भी मां मेरी देखभाल ठीक ऐसे ही करती है जैसे की में अभी पांच या छह वर्ष का ही हूं l प्रतिदिन मां के द्वारा मेरी पसंद के स्वादिष्ट व्यंजन बनाना, टाइम से खाना खिलाना, सुलाना व मेरे स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना l जब भी मुझे किराना, मेडिकल, बैंक के काम से या सब्जी खरीदनें बाहर जाना हो तो मास्क व सेनिटाइजर लगाकर ही बाहर जाने देना व जल्द वापस आने की प्रतीक्षा करना l घर आते ही पुनः सेनिटाइजर छिड़कना, कपड़े सर्फ में गलाकर नहलवाना l खुद से ज्यादा अपने बच्चों, परिजनों की परवाह करना मां से सीखा l यह मां का ही सानिध्य है की परिवार में सब कुशल मंगल और स